अकबर और बीरबल के कहानी-Akbar birbal ki Kahani
एक दिन दरबार में बीरबल नहीं आए थे.तो उस दरबार में बीरबल से जलने वाले सब मंत्रियों ने सोचा के आज सही मौका है.बीरबल के खिलाफ , कान भरने का महाराज अकबर के मन में.वैसे यह कोई नई बात नहीं है जब भी बीरबल दरबार में नहीं होते थे, तब वह सारे मंत्री बादशाह अकबर के सामने बीरबल को नीचा दिखाने की हर कोशिश करते थे.
वैसे ही आज भी उनको मिला था कि बादशाह अकबर के सामने बीरबल को नीचा दिखाया जाए क्योंकि आज भी बीरबल दरबार में नहीं आए थे.
बीरबल से जलने वाले कुछ मंत्रियों ने कहा जहांपनाह, आप बीरबल को हमेशा कुछ ज्यादा ही मान देते हैं, और आप उनको कुछ ज्यादा ही पसंद करते हैं आपने बीरबल को अपने सर पर चढ़ा रखा है.
आप जरा सोचिए बीरबल जो काम करते हैं वह हम भी तो कर सकते हैं, पर आप हमें कभी मौका ही नहीं देते.
बादशाह अकबर को बीरबल की बुराई तनिक भी पसंद नहीं थी बीरबल की बुराई सुनकर बादशाह अकबर ने सोचा क्यों ना आज इन सब की परीक्षा ली जाए.
तब बादशाह अकबर ने अपने सभी मंत्रियों से कहा देखो आज बीरबल दरबार में नहीं है और मुझे एक सवाल का जवाब चाहिए ध्यान रहे अगर आप लोगों ने मेरे सवाल का सही-सही जवाब नहीं दिया तो मैं आप सबको फांसी पर करवा दूंगा.
तो उनमें से 4 लोगों ने हिम्मत करके कहा, बादशाह आप अपना सवाल बताएं.
अकबर ने अपना सवाल चारों को बताया के इस दुनिया के सबसे बड़ी चीज क्या है.
अकबर ने उन चारों को कहा सोच समझ कर जवाब देना नहीं तो मैं पहले ही बता रखा हूं कि जवाब एक हो लेकिन सही हो, अगर जवाब सही नहीं दिया तो मैं तुम चारों को फांसी पर लटका दूंगा.
तब उन चारों ने एक साथ सोच समझकर बादशाह से कहा के हमें कुछ समय की मोहलत चाहिए.
बादशाह अकबर ने कहा ठीक है मैं तुम लोगों को 1 सप्ताह का समय देता हूं.
वह चारों सोचने लगा के इस दुनिया के सबसे बड़ी चीज है क्या एक ने कहा दुनिया की सबसे बड़ी चीज अल्लाह है, दूसरे ने कहा इस दुनिया की सबसे बड़ी चीज भूख है, ऐसे ही सोचते सोचते उन चारों को 6 दिन हो गए पर उन चारों को सही जवाब मिल ही नहीं रहा था, और उन्हें अपने मौत कभी डर लग रहा था एक ने कहा चलो इसका जवाब अकबर सही पूछते हैं अब वही हमें फांसी के फंदे से बता सकते हैं.
जवाब ना मिलना पर हार कर के वह चारों बीरबल के पास गए और पूरी घटना उनको क्या सुनाएं और बीरबल से हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे आप हमें इस सवाल का जवाब बताएं और हमें फांसी के फंदे से बचाएं.
बीरबल ने कहा - ठीक है मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दे दूंगा लेकिन लेकिन मेरी एक शर्त है, चारों ने कहा हमें आपकी हर शर्त मंजूर है पर आप हमें इस सवाल का जब आप बताएं और हमें फांसी के फंदे से बचाएं
बीरबल ने शर्त रखी कि तुम चारों में से दो लोग मेरी चारपाई को अपने कंधों पर उठाकर बादशाह अकबर के दरबार तक ले चलोगे, तीसरा मेरा हुक्का को पकड़ेगा, चौथा मेरे जूते को लेकर चलेगा.
यह सुनकर वह चारों लोग सुन हो गए, उन्हें ऐसा लगा कि बीरबल ने उनके मुंह पर जोर से जैसे thaप्पर मारा हो लेकिन वह कुछ बोल नहीं क्योंकि उनके ऊपर फांसी का फंदा मंडरा रही थी जिसके कारण वह चारों लोग बीरबल की शर्त मान्य को मजबूर थे.
बीरबल ने जैसे कहा था वैसे ही 2 लोगों ने बीरबल के चार पाई अपने कंधों पर उठाई, तीसरे ने बीरबल का हुक्का को उठाया, चौथे ने बीरबल के जूते को उठाकर चल दिए.
रास्ते में जो भी लोग उन चारों को देखते हंसते ही नहीं रुकते थे और देव दरबार में बादशाह अकबर और उनके सभी मंत्रियों ने देखा तो वह कुछ समझ नहीं पाया.
तभी बीरबल ने - बादशाह अकबर से कहा कि जहांपना इस दुनिया की सबसे बड़ी चीज गरज है, तभी तो यह चारों लोग मेरी चारपाई को अपने कंधों पर उठाकर लाने को तैयार हो गए.
यह सुनकर बादशाह अकबर हंस पड़े, और वह चारों लोग अपने सिर को झुका कर एक तरफ खड़े हो गए.
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